
मुंबई में भाषा विवाद पर अठावले ने मनसे को घेरा, हिंदी विरोध को बताया अनुचित
मुंबई। केंद्रीय मंत्री और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के अध्यक्ष रामदास अठावले ने रविवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा हिंदी भाषा के विरोध और हिंदी भाषी नागरिकों को निशाना बनाए जाने को लेकर कड़ी आलोचना की।
अठावले ने कहा कि मुंबई में जो हो रहा है, वह ठीक नहीं है और मनसे की भूमिका उचित नहीं है। उन्होंने इन घटनाओं को गुंडागर्दी करार देते हुए इन्हें तुरंत समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाइयों से मुंबई की महानगरीय स्थिति को नुकसान पहुंचेगा।
निशिकांत दुबे के बयान पर अठावले ने कहा कि यह जनता को स्वीकार्य नहीं है, लेकिन उन्होंने यह बात सभी मराठी लोगों के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ दादागिरी करने वालों के लिए कही थी। यह भाजपा का नहीं बल्कि दुबे की निजी राय है।
अठावले ने कहा कि राज ठाकरे को अपनी भूमिका बदलने की जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हमें भी मराठी पर गर्व है, लेकिन हिंदी का विरोध उचित नहीं है। देश में बहुसंख्यक लोग हिंदी बोलते हैं और यह मराठी के लिए कोई खतरा नहीं है।
राज और उद्धव ठाकरे के पुनर्मिलन पर अठावले ने संदेह जताते हुए कहा कि वे मराठी मुद्दे पर एक साथ आए हैं, लेकिन कौन जानता है कि वे कब तक एक रहेंगे? उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से अपील की कि वे बाल ठाकरे के समावेशी दृष्टिकोण को याद रखें, जिसमें पूरे भारत में विभिन्न समुदायों के लिए शाखाएँ बनाना शामिल था। इसके साथ ही उन्होंने मनसे द्वारा हिंदुओं पर हमले की निंदा की।
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