
बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर सियासी संग्राम, भाजपा-जदयू ने विपक्ष के 'बंद' पर किया पलटवार
पटना। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है। विपक्षी महागठबंधन के &39;बिहार बंद&39; के आह्वान पर बुधवार को राज्य के कई हिस्सों में रेल और सड़क यातायात बाधित हुआ। कांग्रेस नेता राहुल गांधी, राजद नेता तेजस्वी यादव और &39;इंडिया&39; गठबंधन के अन्य नेताओं ने पटना में निर्वाचन आयोग कार्यालय तक मार्च निकाला।
वहीं, भाजपा और जदयू ने विपक्ष के इस विरोध पर कड़ा पलटवार किया। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि क्या विपक्ष घुसपैठियों और अन्य अवैध लोगों को मतदाता सूची में शामिल करना चाहता है? क्या यह सच नहीं है कि रोहिंग्याओं के नाम मतदाता सूची में दर्ज हैं? उन्होंने सवाल उठाया कि विपक्ष ऐसे अवैध मतदाताओं के आधार पर अपनी राजनीति चलाना चाहता है, यह रवैया गंभीर सवाल खड़े करता है।
रविशंकर प्रसाद ने यह भी बताया कि बिहार में 7.9 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 4 करोड़ लोगों ने गणना फ़ॉर्म जमा कर दिया है। जिनके नाम 2003 तक मतदाता सूची में थे, उन्हें दस्तावेज़ जमा करने की आवश्यकता नहीं है।
जदयू नेता नीरज कुमार ने भी विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि वे संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं और संवैधानिक संस्थाओं पर लगातार सवाल उठाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के घटक दलों ने खुद पहले चुनावों में मतदाताओं के नामों में दोहराव और मृत लोगों के नाम सूची में होने की शिकायत की थी। अब जब नाम हटाने का प्रावधान लागू हो रहा है, तो वे इसे राजनीतिक मुद्दा क्यों बना रहे हैं?
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर यह राजनीतिक टकराव आने वाले चुनावों से पहले राज्य की राजनीति को और गर्माने का संकेत दे रहा है।
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