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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को 2023 के वरुणा विधानसभा चुनाव में उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने वरुणा क्षेत्र के मतदाता के. शंकर की याचिका पर 22 अप्रैल को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा दी गई याचिका खारिज करने की आदेश के खिलाफ सुनवाई करने पर सहमति जताई।याचिका में आरोप लगाया गया है कि कांग्रेस पार्टी के चुनावी वादे, विशेषकर उसकी पाँच गारंटी, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत भ्रष्ट आचरण के समान हैं। सुनवाई के दौरान पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा कि चुनाव घोषणापत्र जारी करना भ्रष्ट आचरण कैसे माना जा सकता है। इस पर वकील ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ पहले ही इसी प्रकार की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो चुकी है और उन्होंने 2013 में चुनावी मुफ्त उपहारों पर दिए गए शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया।वकील ने फैसले का उल्लेख करते हुए कहा कि भले ही चुनाव घोषणापत्र में किए गए वादों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के तहत भ्रष्ट आचरण नहीं माना जा सकता, लेकिन मुफ्त सुविधाएँ निश्चित रूप से मतदाताओं को प्रभावित करती हैं। उन्होंने अदालत को बताया कि तीन न्यायाधीशों की एक बड़ी पीठ वर्तमान में 2013 के इस फैसले पर पुनर्विचार कर रही है।
पीठ ने मामले पर आगे सुनवाई के लिए सिद्धारमैया से जवाब मांगा है और याचिका को विचार योग्य मानते हुए नोटिस जारी किया है।
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