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अज्ञात कब्रों का सच उजागर: आतंकवादियों की कब्रें, न कि निर्दोषों की

Editor - Omprakash Najwani - Aagaj ki Aawaj
 जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों की सख़्ती और शोधकर्ताओं की मेहनत ने एक बड़ा सच उजागर किया है। वर्षों से अज्ञात कब्रों को लेकर फैलाए गए भ्रम का अंत हो गया है। उत्तर कश्मीर में हुए हालिया अध्ययन से पता चला है कि 4,056 अज्ञात कब्रों में से 90 प्रतिशत से अधिक कब्रें विदेशी और स्थानीय आतंकवादियों की हैं, न कि निर्दोष नागरिकों की।‘अनरेवलिंग द ट्रुथ: ए क्रिटिकल स्टडी ऑफ अनमार्क एंड अनआइडेंटिफाइड ग्रेव्स इन कश्मीर’ शीर्षक वाली यह रिपोर्ट ‘सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन’ द्वारा तैयार की गई है। वजाहत फारूक भट, जाहिद सुल्तान, इरशाद अहमद भट, अनिका नजीर, मुद्दसिर अहमद डार और शब्बीर अहमद की अगुवाई में शोधकर्ताओं ने बारामूला, कुपवाड़ा, बांदीपोरा और गंदेरबल जिलों के 373 कब्रिस्तानों का निरीक्षण कर दस्तावेजीकरण किया।रिपोर्ट के मुताबिक 2,493 कब्रें (61.5 प्रतिशत) बाहरी आतंकवादियों की और 1,208 कब्रें (29.8 प्रतिशत) कश्मीरी स्थानीय आतंकवादियों की हैं। केवल 9 कब्रों (0.2 प्रतिशत) को नागरिकों की पुष्टि मिली। साथ ही 1947 के कश्मीर युद्ध में मारे गए आदिवासी आक्रमणकारियों की 70 कब्रों की भी पहचान हुई। वजाहत फारूक भट ने कहा कि यह अध्ययन कश्मीर घाटी में फैलाई गई झूठी अवधारणाओं का खंडन करता है और सच्चाई को सामने लाता है।इधर कुलगाम में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया और सेना का एक जवान घायल हुआ। एनआईए ने भी पांच राज्यों और जम्मू-कश्मीर में 22 ठिकानों पर छापेमारी कर आतंकी नेटवर्क की कमर तोड़ी। वहीं, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक पाकिस्तानी घुसपैठिए की गिरफ्तारी ने फिर साबित कर दिया कि आतंकवाद को पड़ोसी देश से लगातार प्रश्रय मिलता है।साथ ही श्रीनगर के हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ वाली पट्टिका को क्षतिग्रस्त करने की घटना ने यह दर्शाया कि कुछ तत्व अब भी भारत की राष्ट्रीय अस्मिता को ठेस पहुँचाने की साजिश में लगे हैं। इन घटनाओं से स्पष्ट है कि भारत अब आतंकवाद और अलगाववाद को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं करेगा। सुरक्षा बल, जांच एजेंसियां और शोधकर्ता मिलकर झूठे प्रचार का सच उजागर कर रहे हैं और राष्ट्रविरोधी मानसिकता रखने वालों को सख्त संदेश दे रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में नया दौर शुरू हो चुका है, जहाँ आतंकवाद की जमीन सिकुड़ रही है और राष्ट्रवाद की जड़ें गहरी हो रही हैं।

08-September-2025 || Aagaj ki Aawaj
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