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भारत-पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़: विशेषज्ञों ने बताया प्राकृतिक कारण, दोषारोपण से बचने की अपील

Editor - Omprakash Najwani - Aagaj ki Aawaj
पाकिस्तान में आई हालिया भीषण बाढ़ ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आपदा की स्थिति में देशों का रवैया सहयोग का होना चाहिए या आरोप-प्रत्यारोप का। कुछ पाकिस्तानी अधिकारियों और जनमत ने जल्दबाज़ी में यह मान लिया कि भारत द्वारा बाँधों से पानी छोड़े जाने के कारण ही पाकिस्तान में बाढ़ आई। हालांकि विशेषज्ञों ने इसे प्राकृतिक प्रक्रिया बताते हुए स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं है कि भारत ने जानबूझकर पाकिस्तान को नुकसान पहुँचाया।जल विशेषज्ञों के अनुसार इस साल मानसून की तीव्रता और ग्लेशियर पिघलने की वजह से भारत और पाकिस्तान दोनों के बाँध क्षमता से भर गए। हिमाचल प्रदेश और उत्तरी राज्यों में रिकॉर्ड बारिश ने भारत को भी भारी नुकसान पहुँचाया। संरचना की सुरक्षा के लिए भारत को सतलुज और रावी में पानी छोड़ना पड़ा और इस बारे में पाकिस्तान को पहले ही आगाह कर दिया गया था।टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के जल विशेषज्ञ डॉ. हस्सान एफ. खान ने कहा कि हर बाँध में स्पिलवे और रेगुलर गेट्स होते हैं। जब बाँध अधिकतम क्षमता तक भर जाते हैं तो पानी छोड़ना अनिवार्य हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस बार भारत को विवश होकर स्पिलवे खोलने पड़े, और ऐसा कोई सबूत नहीं है कि यह कार्रवाई जानबूझकर की गई थी।सीनियर रिसर्चर मुहम्मद उमर करीम ने कहा कि क्षेत्र में ग्लेशियर पिघलने और मानसूनी बारिश के साथ नदी प्रवाह स्वाभाविक रूप से बढ़ जाता है। स्पिलवे तभी खोले जाते हैं जब बाँध भर जाते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय बाँध भर चुके थे और इसी कारण पूर्वी नदियों में बाढ़ आई।पर्यावरण वकील अहमद रफ़ाए आलम ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बाँधों की संरचना लगभग एक जैसी है और दोनों देशों के बाँध अमेरिकी कंपनियों द्वारा बनाए गए हैं। इस साल ब्यास पर पोंग डैम, सतलुज पर भाखड़ा डैम और रावी पर माधोपुर हेडवर्क्स खतरनाक स्तर तक भर गए थे, जिसके बाद भारत ने नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ा।किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर डॉ. दानिश मुस्तफ़ा ने कहा कि जब बाँध की सुरक्षित क्षमता पार हो जाती है तो पानी छोड़ना ही पड़ता है। ज्यादा बारिश का मतलब ज्यादा पानी है और इसे रोकना किसी ढाँचे के लिए संभव नहीं। उन्होंने बताया कि भारत को पाकिस्तान से भी अधिक विनाश का सामना करना पड़ा, क्योंकि जब तक पानी पाकिस्तान पहुँचता है, उसका वेग कम हो जाता है।विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि मुख्य बाढ़ का पानी सीधे भारत से पाकिस्तान में नहीं आता, बल्कि पहले भारतीय कस्बों और गाँवों से होकर लगभग 100–150 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद सीमा पार करता है। बहरहाल, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि दोषारोपण की बजाय भारत और पाकिस्तान को जल संसाधन, मौसम पूर्वानुमान और नदी प्रबंधन में साझा रणनीति अपनानी चाहिए। सहयोग से ही भविष्य में ऐसी त्रासदियों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

04-September-2025 || Aagaj ki Aawaj
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